NCERT Solutions Class 10 Hindi Unit 3 Chapter 4 – Download PDF
Get here NCERT Solutions Class 10 Hindi Unit 3 Chapter 4. These NCERT Solutions for Class 10 of Hindi Unit 3 subject includes detailed answers of all the questions in Chapter 4 – Manushyata provided in NCERT Book which is prescribed for class 10 in schools.
Book: National Council of Educational Research and Training (NCERT)
Class: 10th Class
Subject: Hindi Unit 3
Chapter: Chapter 4 – Manushyata
NCERT Solutions Class 10 Hindi Unit 3 Chapter 4 – Free Download PDF
NCERT Solutions Class 10 Hindi Unit 3 Chapter 4 – Manushyata
Question 1:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
कवि ने कैसी मृत्यु को सुमृत्यु कहा है?
Answer:
प्रत्येक मनुष्य समयानुसार अवश्य मृत्यु को प्राप्त होता है क्योंकि जीवन नश्वर है। इसलिए मृत्यु से डरना नहीं चाहिए बल्कि जीवन में ऐसे कार्य करने चाहिए जिससे उसे बाद में भी याद रखा जाए। उसकी मृत्यु व्यर्थ न जाए। अपना जीवन दूसरों को समर्पित कर दें। जो केवल अपने लिए जीते हैं वे व्यक्ति नहीं पशु के समान हैं।
Question 2:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
उदार व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकती है?
Answer:
उदार व्यक्ति परोपकारी होता है। अपना पूरा जीवन पुण्य व लोकहित कार्यो में बिता देता है। किसी से भेदभाव नहीं रखता, आत्मीय भाव रखता है। कवि और लेखक भी उसके गुणों की चर्चा अपने लेखों में करते हैं। वह निज स्वार्थों का त्याग कर जीवन का मोह भी नहीं रखता।
Question 3:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
कवि ने दधीचि कर्ण, आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर मनुष्यता के लिए क्या संदेश दिया है?
Answer:
कवि दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर त्याग और बलिदान का संदेश देता है कि किस प्रकार इन लोगों ने अपनी परवाह किए बिना लोक हित के लिए कार्य किए। दधीचि ने देवताओं की रक्षा के लिए अपनी हड्डियाँ दान दी, कर्ण ने अपना सोने का रक्षा कवच दान दे दिया, रति देव ने अपना भोजनथाल ही दे डाला, उशीनर ने कबूतर के लिए अपना माँस दिया इस तरह इन महापुरुषों ने मानव कल्याण की भावना से ‘पर‘ हेतु जीवन दिया।
Question 4:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
कवि ने किन पंक्तियों में यह व्यक्त किया है कि हमें गर्व–रहित जीवन व्यतीत करना चाहिए?
Answer:
रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
उपरोक्त पंक्तियों में कवि ने गर्व–रहित जीवन व्यतीत करने की प्रेरणा दी है। कवि का कहना है कि धन संपत्ति आने पर घमंड नहीं करना चाहिए। केवल आप ही सनाथ नहीं हैं। सभी पर ईश्वर की कृपा दृष्टि है। वह सभी को सहारा देता है।
Question 5:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
‘मनुष्य मात्र बंधु है’से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
Answer:
‘मनुष्य मात्र बंधु है’से तात्पर्य है कि सभी मनुष्य आपस में भाई बंधु हैं क्योंकि सभी का पिता एक ईश्वर है। इसलिए सभी को प्रेम भाव से रहना चाहिए, सहायता करनी चाहिए। कोई पराया नहीं है। सभी एक दूसरे के काम आएँ।
Question 6:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा क्यों दी है?
Answer:
कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा इसलिए दी है जिससे सब मैत्री भाव से आपस में मिलकर रहें क्योंकि एक होने से सभी कार्य सफल होते हैं ऊँच–नीच, वर्ग भेद नहीं रहता। सभी एक पिता परमेश्वर की संतान हैं। अत: सब एक हैं।
Question 7:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
व्यक्ति को किस प्रकार का जीवन व्यतीत करना चाहिए? इस कविता के आधार पर लिखिए।
Answer:
कवि कहना चाहता है कि हमें ऐसा जीवन व्यतीत करना चाहिए जो दूसरों के काम आए। मनुष्य को अपने स्वार्थ का त्याग करके परहित के लिए जीना चाहिए। दया, करुणा, परोपकार का भाव रखना चाहिए, घमंड नहीं करना चाहिए। यदि हम दूसरों के लिए जिएँ तो हमारी मृत्यु भी सुमृत्यु बन सकती है।
Question 8:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
‘मनुष्यता‘ कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है?
Answer:
कवि इस कविता द्वारा मानवता, प्रेम, एकता, दया, करुणा, परोपकार, सहानुभूति, सदभावना और उदारता का संदेश देना चाहता है। मनुष्य को नि:स्वार्थ जीवन जीना चाहिए। वर्गवाद, अलगाव को दूर करके विश्व बंधुत्व की भावना को बढ़ाना चाहिए। धन होने पर घमंड नहीं करना चाहिए तथा खुद आगे बढ़ने के साथ–साथ औरों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देनी चाहिए।
Question 1:
भाव स्पष्ट कीजिए −
सहानुभूति चाहिए, महाविभूति है यही;
वशीकृता सदैव है बनी हुई स्वयं मही।
विरुद्धवाद बुद्ध का दया–प्रवाह में बहा,
विनीत लोकवर्ग क्या न सामने झुका रहा?
Answer:
कवि ने एक दूसरे के प्रति सहानुभूति की भावना को उभारा है। इससे बढ़कर कोई पूँजी नहीं है। यदि प्रेम, सहानुभूति, करुणा के भाव हो तो वह जग को जीत सकता है। वह सम्मानित भी रहता है। महात्मा बुद्ध के विचारों का भी विरोध हुआ था परन्तु जब बुद्ध ने अपनी करुणा, प्रेम व दया का प्रवाह किया तो उनके सामने सब नतमस्तक हो गए।
Question 2:
भाव स्पष्ट कीजिए −
रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
अनाथ कौन है यहाँ? त्रिलोकनाथ साथ हैं,
दयालु दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ हैं।
Answer:
कवि का कहना है कि मनुष्य को कभी भी धन पर घमंड नहीं करना चाहिए। कुछ लोग धन प्राप्त होने पर स्वयं को सुरक्षित व सनाथ समझने लगते हैं। परन्तु उन्हें सदा सोचना चाहिए कि इस दुनिया में कोई अनाथ नहीं है। सभी पर ईश्वर की कृपा दृष्टि है। ईश्वर सभी को समान भाव से देखता है। हमें उस पर भरोसा रखना चाहिए।
Question 3:
भाव स्पष्ट कीजिए −
चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए,
विपत्ति, विघ्न जो पड़ें उन्हें ढकेलते हुए।
घटे न हेलमेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी,
अतर्क एक पंथ के सतर्क पंथ हों सभी।
Answer:
कवि संदेश देता है कि हमें निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए। बाधाओं, कठिनाइयों को हँसते हुए, ढकेलते हुए बढ़ना चाहिए लेकिन आपसी मेलजोल कम नहीं करना चाहिए। किसी को अलग न समझें, सभी पंथ व संप्रदाय मिलकर सभी का हित करने की बात करे, विश्व एकता के विचार को बनाए रखे।
Question 1:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
कवि ने कैसी मृत्यु को सुमृत्यु कहा है?
Answer:
प्रत्येक मनुष्य समयानुसार अवश्य मृत्यु को प्राप्त होता है क्योंकि जीवन नश्वर है। इसलिए मृत्यु से डरना नहीं चाहिए बल्कि जीवन में ऐसे कार्य करने चाहिए जिससे उसे बाद में भी याद रखा जाए। उसकी मृत्यु व्यर्थ न जाए। अपना जीवन दूसरों को समर्पित कर दें। जो केवल अपने लिए जीते हैं वे व्यक्ति नहीं पशु के समान हैं।
Question 2:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
उदार व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकती है?
Answer:
उदार व्यक्ति परोपकारी होता है। अपना पूरा जीवन पुण्य व लोकहित कार्यो में बिता देता है। किसी से भेदभाव नहीं रखता, आत्मीय भाव रखता है। कवि और लेखक भी उसके गुणों की चर्चा अपने लेखों में करते हैं। वह निज स्वार्थों का त्याग कर जीवन का मोह भी नहीं रखता।
Question 3:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
कवि ने दधीचि कर्ण, आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर मनुष्यता के लिए क्या संदेश दिया है?
Answer:
कवि दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर त्याग और बलिदान का संदेश देता है कि किस प्रकार इन लोगों ने अपनी परवाह किए बिना लोक हित के लिए कार्य किए। दधीचि ने देवताओं की रक्षा के लिए अपनी हड्डियाँ दान दी, कर्ण ने अपना सोने का रक्षा कवच दान दे दिया, रति देव ने अपना भोजनथाल ही दे डाला, उशीनर ने कबूतर के लिए अपना माँस दिया इस तरह इन महापुरुषों ने मानव कल्याण की भावना से ‘पर‘ हेतु जीवन दिया।
Question 4:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
कवि ने किन पंक्तियों में यह व्यक्त किया है कि हमें गर्व–रहित जीवन व्यतीत करना चाहिए?
Answer:
रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
उपरोक्त पंक्तियों में कवि ने गर्व–रहित जीवन व्यतीत करने की प्रेरणा दी है। कवि का कहना है कि धन संपत्ति आने पर घमंड नहीं करना चाहिए। केवल आप ही सनाथ नहीं हैं। सभी पर ईश्वर की कृपा दृष्टि है। वह सभी को सहारा देता है।
Question 5:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
‘मनुष्य मात्र बंधु है’से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
Answer:
‘मनुष्य मात्र बंधु है’से तात्पर्य है कि सभी मनुष्य आपस में भाई बंधु हैं क्योंकि सभी का पिता एक ईश्वर है। इसलिए सभी को प्रेम भाव से रहना चाहिए, सहायता करनी चाहिए। कोई पराया नहीं है। सभी एक दूसरे के काम आएँ।
Question 6:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा क्यों दी है?
Answer:
कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा इसलिए दी है जिससे सब मैत्री भाव से आपस में मिलकर रहें क्योंकि एक होने से सभी कार्य सफल होते हैं ऊँच–नीच, वर्ग भेद नहीं रहता। सभी एक पिता परमेश्वर की संतान हैं। अत: सब एक हैं।
Question 7:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
व्यक्ति को किस प्रकार का जीवन व्यतीत करना चाहिए? इस कविता के आधार पर लिखिए।
Answer:
कवि कहना चाहता है कि हमें ऐसा जीवन व्यतीत करना चाहिए जो दूसरों के काम आए। मनुष्य को अपने स्वार्थ का त्याग करके परहित के लिए जीना चाहिए। दया, करुणा, परोपकार का भाव रखना चाहिए, घमंड नहीं करना चाहिए। यदि हम दूसरों के लिए जिएँ तो हमारी मृत्यु भी सुमृत्यु बन सकती है।
Question 8:
निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए −
‘मनुष्यता‘ कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है?
Answer:
कवि इस कविता द्वारा मानवता, प्रेम, एकता, दया, करुणा, परोपकार, सहानुभूति, सदभावना और उदारता का संदेश देना चाहता है। मनुष्य को नि:स्वार्थ जीवन जीना चाहिए। वर्गवाद, अलगाव को दूर करके विश्व बंधुत्व की भावना को बढ़ाना चाहिए। धन होने पर घमंड नहीं करना चाहिए तथा खुद आगे बढ़ने के साथ–साथ औरों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देनी चाहिए।
Question 1:
भाव स्पष्ट कीजिए −
सहानुभूति चाहिए, महाविभूति है यही;
वशीकृता सदैव है बनी हुई स्वयं मही।
विरुद्धवाद बुद्ध का दया–प्रवाह में बहा,
विनीत लोकवर्ग क्या न सामने झुका रहा?
Answer:
कवि ने एक दूसरे के प्रति सहानुभूति की भावना को उभारा है। इससे बढ़कर कोई पूँजी नहीं है। यदि प्रेम, सहानुभूति, करुणा के भाव हो तो वह जग को जीत सकता है। वह सम्मानित भी रहता है। महात्मा बुद्ध के विचारों का भी विरोध हुआ था परन्तु जब बुद्ध ने अपनी करुणा, प्रेम व दया का प्रवाह किया तो उनके सामने सब नतमस्तक हो गए।
Question 2:
भाव स्पष्ट कीजिए −
रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
अनाथ कौन है यहाँ? त्रिलोकनाथ साथ हैं,
दयालु दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ हैं।
Answer:
कवि का कहना है कि मनुष्य को कभी भी धन पर घमंड नहीं करना चाहिए। कुछ लोग धन प्राप्त होने पर स्वयं को सुरक्षित व सनाथ समझने लगते हैं। परन्तु उन्हें सदा सोचना चाहिए कि इस दुनिया में कोई अनाथ नहीं है। सभी पर ईश्वर की कृपा दृष्टि है। ईश्वर सभी को समान भाव से देखता है। हमें उस पर भरोसा रखना चाहिए।
Question 3:
भाव स्पष्ट कीजिए −
चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए,
विपत्ति, विघ्न जो पड़ें उन्हें ढकेलते हुए।
घटे न हेलमेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी,
अतर्क एक पंथ के सतर्क पंथ हों सभी।
Answer:
कवि संदेश देता है कि हमें निरंतर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए। बाधाओं, कठिनाइयों को हँसते हुए, ढकेलते हुए बढ़ना चाहिए लेकिन आपसी मेलजोल कम नहीं करना चाहिए। किसी को अलग न समझें, सभी पंथ व संप्रदाय मिलकर सभी का हित करने की बात करे, विश्व एकता के विचार को बनाए रखे।


