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NCERT Solutions Class 10 Hindi Unit 1 Chapter 14 – Download PDF

Get here NCERT Solutions Class 10 Hindi Unit 1 Chapter 14. These NCERT Solutions for Class 10 of Hindi Unit 1 subject includes detailed answers of all the questions in Chapter 14 – Mannu Bhandari provided in NCERT Book which is prescribed for class 10 in schools.

Book: National Council of Educational Research and Training (NCERT)
Class: 10th Class
Subject: Hindi Unit 1
Chapter: Chapter 14 – Mannu Bhandari

NCERT Solutions Class 10 Hindi Unit 1 Chapter 14 – Free Download PDF

NCERT Solutions Class 10 Hindi Unit 1 Chapter 14 – Mannu Bhandari

Question 1:

लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा?

Answer:

लेखिका के व्यक्तित्व पर दो व्यक्तियों का प्रभाव विशेष रूप से देखा जा सकता है। प्रथम उनके पिता तथा द्वितीय उनकी हिंदी अध्यापिका शीला अग्रवाल। लेखिका के पिताजी के कभी अच्छे कभी बुरे व्यवहार ने ुके जीवन को बहुत हद तक प्रभावित किया। उनके पिता रंग के कारण उनकी उपेक्षा करते थे। इसका परिणाम यह हुआ कि लेखिका के मन में आत्मविश्वास की कमी हो गई। भविष्य में अपनी सफलता पर लेखिका को कभी भरोसा नहीं हुआ। पिता द्वारा लोगों पर शक करने की आदत भी उनके व्यक्तित्व में स्वतः ही आ गई। आगे चलकर पिता द्वारा राजनैतिक चर्चाओं में बिठाने के कारण उनको प्रोत्साहन मिला। दसवीं कक्षा के बाद फर्स्ट इयर में उनकी मुलाकात हिंदी की प्राध्यापिका शीला अग्रवाल से हुई। उनके साथ हुई चर्चाओं ने लेखिका के साहित्य के ज्ञान को बढ़ाया तथा बचपन के खोए आत्मविश्वास की भावना फिर से जागृत हुई। उनका चित्त स्वतंत्रता संग्राम की ओर उन्मुख हुआ, साथ ही लेखन की दिशा में कदम बढ़े। उनके व्यक्तित्व में वीरता और आत्मविश्वास के गुणों का समावेश भी शीला अग्रवाल के कारण हुआ।

Question 2:

इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को ‘भटियारखाना’ कहकर क्यों संबोधित किया है?

Answer:

‘भटियारखाना’ शब्द भट्टी (चूल्हा) से बना है। यहाँ पर प्रतिभाशाली लोग नहीं जाते हैं। उनके पिता का मानना था कि चूल्हे के संपर्क में आकर उनकी बेटी की प्रतिभा नष्ट हो जाएगी। रोटी पकाने से उसे देश तथा समाज की समझ विकसित नहीं होगी। वह वहाँ जाकर अपनी योग्यता को नष्ट कर देगी। सम्भवत: इसलिए लेखिका के पिता ने रसोई को ‘भटियारखाना’ कहकर संबोधित किया होगा।

Question 3:

वह कौन-सी घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखिका को न अपनी आँखों पर विश्वास हो पाया और न अपने कानों पर?

Answer:

कॉलिज के दिनों में एक बार पिता जी के नाम प्रिंसिपल का पत्र आया कि आपकी पुत्री की गतिविधियों के कारण उसे उचित दंड दिया जाए या न दिया जाए। इस पर पिताजी को लगा जैसे लेखिका ने कोई ऐसा अपराध किया है जिससे ख़ानदान की प्रतिष्ठा खराब हो सकती है। इस कारण वे गुस्से में प्रिंसिपल से मिलने गए। इससे लेखिका बहुत भयभीत हो गई। परन्तु प्रिंसिपल से मिलने तथा असली अपराध के पता चलने पर लेखिका के पिता को अपनी बेटी से कोई शिकायत नहीं रही। पिताजी के व्यवहार में परिवर्तन देख लेखिका को न तो अपने आँखों पर भरोसा हुआ और न ही अपने कानों पर विश्वास हुआ।

Question 4:

लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टकराहट को अपने शब्दों में लिखिए।

Answer:

लेखिका के अपने पिता के साथ अक्सर वैचारिक टकराहट हुआ करती थी –

(1) लेखिका के पिता यद्यपि स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी नहीं थे परन्तु वे स्त्रियों का दायरा चार दीवारी के अंदर ही सीमित रखना चाहते थे। परन्तु लेखिका खुले विचारों की महिला थी।

(2) लेखिका के पिता लड़की की शादी जल्दी करने के पक्ष में थे। लेकिन लेखिका जीवन की आकाँक्षाओं को पूर्ण करना चाहती थी।

(3) लेखिका का स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेकर भाषण देना उनके पिता को पसंद नहीं था।

(4) पिताजी का लेखिका की माँ के साथ अच्छा व्यवहार नहीं था। स्त्री के प्रति ऐसे व्यवहार को लेखिका अनुचित समझती थी।

(5) बचपन के दिनों में लेखिका के काले रंग रुप को लेकर उनके पिता का मन उनकी तरफ़ से उदासीन रहा करता था।

Question 5:

इस आत्मकथ्य के आधार पर स्वाधीनता आंदोलन के परिदृश्य का चित्रण करते हुए उसमें मन्नू जी की भूमिका को रेखांकित कीजिए।

Answer:

लेखिका मन्नू भंडारी भी स्वतंत्रता संग्राम में भागीदार थी। इस आंदोलन में उन्होंने अपने भाषण, उत्साह तथा अपनी संगठन-क्षमता के द्वारा सहयोग प्रदान किया। 1946-47 तक के समय में मन्नू भंडारी ने जगह-जगह जाकर अपनी भाषण प्रतिभा के माध्यम से अपने विचारों को साधारण जनता के समक्ष रख कर अपना सहयोग दिया।

Question 6:

लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली डंडा तथा पतंग उड़ाने जैसे खेल भी खेले किंतु लड़की होने के कारण उनका दायरा घर की चारदीवारी तक सीमित था। क्या आज भी लड़कियों के लिए स्थितियाँ ऐसी ही हैं या बदल गई हैं, अपने परिवेश के आधार पर लिखिए।

Answer:

अपने समय में लेखिका को खेलने तथा पढ़ने की आज़ादी तो थी लेकिन अपने पिता द्वारा निर्धारित गाँव की सीमा तक ही। परन्तु आज स्थिति बदल गई है। आज लड़कियाँ एक शहर से दूसरे शहर शिक्षा ग्रहण करने तथा खेलने जाती हैं। ऐसा केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आज भारतीय महिलाएँ विदेशों तक, अंतरिक्ष तक जाकर दुनिया में अपने देश का नाम रौशन कर रही हैं। आज भी कुछ एक गाँव या परिवार हैं जो कि स्त्री की स्वतंत्रता के विरुद्ध हैं।

Question 7:

मनुष्य के जीवन में आस-पड़ोस का बहुत महत्व होता है। परंतु महानगरों में रहने वाले लोग प्राय: ‘पड़ोस कल्चर’ से वंचित रह जाते हैं। इस बारे में अपने विचार लिखिए।

Answer:

आज मनुष्य के सम्बन्धों का क्षेत्र सीमित होता जा रहा है, मनुष्य आत्मकेन्द्रित होता जा रहा है। उसे अपने सगे सम्बन्धियों तक के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है। यही कारण है कि आज के समाज में पड़ोस कल्चर लगभग लुप्त होता जा रहा है। लोगों के पास समय का अभाव होता जा रहा है। मनुष्य के पास इतना समय नहीं है कि वो अपने पड़ोसियों से मिलकर उनसे बात-चीत करें।

Question 8:

लेखिका द्वारा पढ़े गए उपन्यासों की सूची बनाइए और उन उपन्यासों को अपने पुस्तकालय में खोजिए।

Answer:

मनु भंडारी के द्वारा पढ़े गए कुछ चर्चित उपन्यास –

(1) सुनीता

(2) शेखर : एक जीवनी

(3) नदी के द्वीप

(4) त्यागपत्र

(5) चित्रलेखा

Question 9:

आप भी अपने दैनिक अनुभवों को डायरी में लिखिए।

Answer:

छात्र स्वयं डायरी लिखें।

Page No 101:

Question 10:

इस आत्मकथ्य में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है। रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ –

(क) इस बीच पिता जी के एक निहायत दकियानूसी मित्र ने घर आकर अच्छी तरह पिता जी की लू उतारी

(ख) वे तो आग लगाकर चले गए और पिता जी सारे दिन भभकते रहे।

(ग) बस अब यही रह गया है कि लोग घर आकर थूथू करके चले जाएँ।

(घ) पत्र पढ़ते ही पिता जी आगबबूला हो गए।

Answer:

(कलू उतारी – होमवर्क न करने से शिक्षक ने अच्छी तरह से छात्र की लू उतारी।

(ख) आगलगाना – कुछ मित्र ऐसे भी होते हैं जो घर में आग लगाने का काम करते हैं।

(ग) थूथू करना – तुम्हारे इस तरह से ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने से पड़ोसी थूथू करेंगे

(घ) आगबबूला  – मेरे स्कूल नहीं जाने से पिताजी आगबबूला हो गए।

Page No 100:

Question 1:

लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा?

Answer:

लेखिका के व्यक्तित्व पर दो व्यक्तियों का प्रभाव विशेष रूप से देखा जा सकता है। प्रथम उनके पिता तथा द्वितीय उनकी हिंदी अध्यापिका शीला अग्रवाल। लेखिका के पिताजी के कभी अच्छे कभी बुरे व्यवहार ने ुके जीवन को बहुत हद तक प्रभावित किया। उनके पिता रंग के कारण उनकी उपेक्षा करते थे। इसका परिणाम यह हुआ कि लेखिका के मन में आत्मविश्वास की कमी हो गई। भविष्य में अपनी सफलता पर लेखिका को कभी भरोसा नहीं हुआ। पिता द्वारा लोगों पर शक करने की आदत भी उनके व्यक्तित्व में स्वतः ही आ गई। आगे चलकर पिता द्वारा राजनैतिक चर्चाओं में बिठाने के कारण उनको प्रोत्साहन मिला। दसवीं कक्षा के बाद फर्स्ट इयर में उनकी मुलाकात हिंदी की प्राध्यापिका शीला अग्रवाल से हुई। उनके साथ हुई चर्चाओं ने लेखिका के साहित्य के ज्ञान को बढ़ाया तथा बचपन के खोए आत्मविश्वास की भावना फिर से जागृत हुई। उनका चित्त स्वतंत्रता संग्राम की ओर उन्मुख हुआ, साथ ही लेखन की दिशा में कदम बढ़े। उनके व्यक्तित्व में वीरता और आत्मविश्वास के गुणों का समावेश भी शीला अग्रवाल के कारण हुआ।

Question 2:

इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को ‘भटियारखाना’ कहकर क्यों संबोधित किया है?

Answer:

‘भटियारखाना’ शब्द भट्टी (चूल्हा) से बना है। यहाँ पर प्रतिभाशाली लोग नहीं जाते हैं। उनके पिता का मानना था कि चूल्हे के संपर्क में आकर उनकी बेटी की प्रतिभा नष्ट हो जाएगी। रोटी पकाने से उसे देश तथा समाज की समझ विकसित नहीं होगी। वह वहाँ जाकर अपनी योग्यता को नष्ट कर देगी। सम्भवत: इसलिए लेखिका के पिता ने रसोई को ‘भटियारखाना’ कहकर संबोधित किया होगा।

Question 3:

वह कौन-सी घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखिका को न अपनी आँखों पर विश्वास हो पाया और न अपने कानों पर?

Answer:

कॉलिज के दिनों में एक बार पिता जी के नाम प्रिंसिपल का पत्र आया कि आपकी पुत्री की गतिविधियों के कारण उसे उचित दंड दिया जाए या न दिया जाए। इस पर पिताजी को लगा जैसे लेखिका ने कोई ऐसा अपराध किया है जिससे ख़ानदान की प्रतिष्ठा खराब हो सकती है। इस कारण वे गुस्से में प्रिंसिपल से मिलने गए। इससे लेखिका बहुत भयभीत हो गई। परन्तु प्रिंसिपल से मिलने तथा असली अपराध के पता चलने पर लेखिका के पिता को अपनी बेटी से कोई शिकायत नहीं रही। पिताजी के व्यवहार में परिवर्तन देख लेखिका को न तो अपने आँखों पर भरोसा हुआ और न ही अपने कानों पर विश्वास हुआ।

Question 4:

लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टकराहट को अपने शब्दों में लिखिए।

Answer:

लेखिका के अपने पिता के साथ अक्सर वैचारिक टकराहट हुआ करती थी –

(1) लेखिका के पिता यद्यपि स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी नहीं थे परन्तु वे स्त्रियों का दायरा चार दीवारी के अंदर ही सीमित रखना चाहते थे। परन्तु लेखिका खुले विचारों की महिला थी।

(2) लेखिका के पिता लड़की की शादी जल्दी करने के पक्ष में थे। लेकिन लेखिका जीवन की आकाँक्षाओं को पूर्ण करना चाहती थी।

(3) लेखिका का स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेकर भाषण देना उनके पिता को पसंद नहीं था।

(4) पिताजी का लेखिका की माँ के साथ अच्छा व्यवहार नहीं था। स्त्री के प्रति ऐसे व्यवहार को लेखिका अनुचित समझती थी।

(5) बचपन के दिनों में लेखिका के काले रंग रुप को लेकर उनके पिता का मन उनकी तरफ़ से उदासीन रहा करता था।

Question 5:

इस आत्मकथ्य के आधार पर स्वाधीनता आंदोलन के परिदृश्य का चित्रण करते हुए उसमें मन्नू जी की भूमिका को रेखांकित कीजिए।

Answer:

लेखिका मन्नू भंडारी भी स्वतंत्रता संग्राम में भागीदार थी। इस आंदोलन में उन्होंने अपने भाषण, उत्साह तथा अपनी संगठन-क्षमता के द्वारा सहयोग प्रदान किया। 1946-47 तक के समय में मन्नू भंडारी ने जगह-जगह जाकर अपनी भाषण प्रतिभा के माध्यम से अपने विचारों को साधारण जनता के समक्ष रख कर अपना सहयोग दिया।

Question 6:

लेखिका ने बचपन में अपने भाइयों के साथ गिल्ली डंडा तथा पतंग उड़ाने जैसे खेल भी खेले किंतु लड़की होने के कारण उनका दायरा घर की चारदीवारी तक सीमित था। क्या आज भी लड़कियों के लिए स्थितियाँ ऐसी ही हैं या बदल गई हैं, अपने परिवेश के आधार पर लिखिए।

Answer:

अपने समय में लेखिका को खेलने तथा पढ़ने की आज़ादी तो थी लेकिन अपने पिता द्वारा निर्धारित गाँव की सीमा तक ही। परन्तु आज स्थिति बदल गई है। आज लड़कियाँ एक शहर से दूसरे शहर शिक्षा ग्रहण करने तथा खेलने जाती हैं। ऐसा केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि आज भारतीय महिलाएँ विदेशों तक, अंतरिक्ष तक जाकर दुनिया में अपने देश का नाम रौशन कर रही हैं। आज भी कुछ एक गाँव या परिवार हैं जो कि स्त्री की स्वतंत्रता के विरुद्ध हैं।

Question 7:

मनुष्य के जीवन में आस-पड़ोस का बहुत महत्व होता है। परंतु महानगरों में रहने वाले लोग प्राय: ‘पड़ोस कल्चर’ से वंचित रह जाते हैं। इस बारे में अपने विचार लिखिए।

Answer:

आज मनुष्य के सम्बन्धों का क्षेत्र सीमित होता जा रहा है, मनुष्य आत्मकेन्द्रित होता जा रहा है। उसे अपने सगे सम्बन्धियों तक के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है। यही कारण है कि आज के समाज में पड़ोस कल्चर लगभग लुप्त होता जा रहा है। लोगों के पास समय का अभाव होता जा रहा है। मनुष्य के पास इतना समय नहीं है कि वो अपने पड़ोसियों से मिलकर उनसे बात-चीत करें।

Question 8:

लेखिका द्वारा पढ़े गए उपन्यासों की सूची बनाइए और उन उपन्यासों को अपने पुस्तकालय में खोजिए।

Answer:

मनु भंडारी के द्वारा पढ़े गए कुछ चर्चित उपन्यास –

(1) सुनीता

(2) शेखर : एक जीवनी

(3) नदी के द्वीप

(4) त्यागपत्र

(5) चित्रलेखा

Question 9:

आप भी अपने दैनिक अनुभवों को डायरी में लिखिए।

Answer:

छात्र स्वयं डायरी लिखें।

Page No 101:

Question 10:

इस आत्मकथ्य में मुहावरों का प्रयोग करके लेखिका ने रचना को रोचक बनाया है। रेखांकित मुहावरों को ध्यान में रखकर कुछ और वाक्य बनाएँ –

(क) इस बीच पिता जी के एक निहायत दकियानूसी मित्र ने घर आकर अच्छी तरह पिता जी की लू उतारी

(ख) वे तो आग लगाकर चले गए और पिता जी सारे दिन भभकते रहे।

(ग) बस अब यही रह गया है कि लोग घर आकर थूथू करके चले जाएँ।

(घ) पत्र पढ़ते ही पिता जी आगबबूला हो गए।

Answer:

(कलू उतारी – होमवर्क न करने से शिक्षक ने अच्छी तरह से छात्र की लू उतारी।

(ख) आगलगाना – कुछ मित्र ऐसे भी होते हैं जो घर में आग लगाने का काम करते हैं।

(ग) थूथू करना – तुम्हारे इस तरह से ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने से पड़ोसी थूथू करेंगे

(घ) आगबबूला  – मेरे स्कूल नहीं जाने से पिताजी आगबबूला हो गए।