NCERT Solutions Class 10 Hindi Unit 1 Chapter 13 – Download PDF
Get here NCERT Solutions Class 10 Hindi Unit 1 Chapter 13. These NCERT Solutions for Class 10 of Hindi Unit 1 subject includes detailed answers of all the questions in Chapter 13 – Sarveshwar Dayal Saxena provided in NCERT Book which is prescribed for class 10 in schools.
Book: National Council of Educational Research and Training (NCERT)
Class: 10th Class
Subject: Hindi Unit 1
Chapter: Chapter 13 – Sarveshwar Dayal Saxena
NCERT Solutions Class 10 Hindi Unit 1 Chapter 13 – Free Download PDF
NCERT Solutions Class 10 Hindi Unit 1 Chapter 13 – Sarveshwar Dayal Saxena
Question 1:
फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी?
Answer:
देवदार का वृक्ष आकार में लंबा-चौड़ा होता है तथा छायादार भी होता है। फ़ादर बुल्के का व्यक्तित्व भी कुछ ऐसा ही है। जीस प्रकार देवदार का वृक्ष वृहदाकार होने के कारण लोगों को छाया देकर शीतलता प्रदान करता है। ठीक उसी प्रकार फ़ादर बुल्के भी अपने शरण में आए लोगों को आश्रय देते थे। तथा दु:ख के समय में सांत्वना के वचनों द्वारा उनको शीतलता प्रदान करते थे।
Question 2:
फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है?
Answer:
फ़ादर बुल्के पूरी तरह से भारतीय संस्कृति को आत्मसात कर चुके थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति से प्रेरित होकर सन्यास लेते समय यह शर्त रखी कि भारत आएँगे। भारत आकर उन्होंने हिंदी में बी.ए. किया, इलाहाबाद से एम.ए. किया, फिर ‘प्रयाग विश्वविद्यालय’ के हिंदी विभाग से “रामकथा : उत्पत्ति और विकास” पर शोध कर उन्होंने पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने ‘ब्लू बर्ड’ तथा बाइबिल का हिंदी अनुवाद भी किया तथा अपना प्रसिद्ध अंग्रेज़ी-हिंदी कोश भी तैयार किया। उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा के रुप में प्रतिष्ठित करने के लिए कई प्रयास भी किए। उनका पूरा जीवन भारत तथा हिंदी भाषा पर समर्पित था। अत: हम यह कह सकते हैं कि फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं।
Question 3:
पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फ़ादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है?
Answer:
फ़ादर बुल्के का हिंदी भाषा संस्कृति के प्रति विशेष झुकाव था —
(1) भारत आकर उन्होंने कलकत्ता से हिंदी में बी.ए. तथा इलाहाबाद से एम.ए. किया।
(2) उन्होंने “रामकथा : उत्पत्ति और विकास।” पर शोध कर पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की।
(3) उन्होंने अपना अंग्रेज़ी-हिंदी शब्दकोश भी तैयार किया।
(4) ब्लूबर्ड का अनुवाद ‘नील पंछी’ के नाम से तथा बाइबिल का हिंदी अनुवाद किया।
(5) हिंदी को राष्ट्रभाषा के रुप में प्रतिष्ठित करने के लिए उन्होंने अनेक प्रयास किए तथा लोगों को हिंदी भाषा के महत्व को समझाने के लिए विभिन्न तर्क दिए।
(6) हिंदी भाषा की उपेक्षा करने वालों पर उन्हें दु:ख होता था।
Question 4:
इस पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
Answer:
फ़ादर कामिल बुल्के का व्यक्तित्व सात्विक था। ईश्वर के प्रति उनकी गहरी आस्था थी। एक लंबी पादरी के चोंगे से ढ़का हुआ शरीर था, गोरा रंग, सफ़ेद झाई मारती भूरी दाढ़ी, नीली आँखे थी। उनके हृदय में सभी आत्मीय जनों के लिए प्रेम था। वे वात्सल्यता की मूर्ति थे। हमेशा एक मंद मुस्कान उनके चेहरे पर झलकती थी, क्रोध उन्हें कभी नहीं आता था। दु:ख से विरक्त लोगों को वे सांत्वना के दो बोल बोलकर शीतलता प्रदान करते थे। भारत देश से उन्हें बहुत प्रेम था। उन्हें हिंदी भाषा से भी लगाव था। हिंदी में उन्होंने पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की थी तथा ब्लू बर्ड और बाइबिल का हिंदी अनुवाद भी किया था। हिंदी भाषा की उपेक्षा उनके लिए असह्य थी। बस इसी बात से उन्हें क्रोध करते हुए देखा जाता था। वैसे उनका व्यक्तित्व बहुत शांत तथा सुलझा हुआ था।
Question 5:
लेखक ने फ़ादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है?
Answer:
फ़ादर बुल्के मानवीय करुणा की प्रतिमूर्ति थे। उनके मन में सभी के लिए प्रेम भरा था जो कि उनके चेहरे पर स्पष्ट दिखाई देता था। विपत्ति की घड़ी में वे सांत्वना के दो बोल द्वारा किसी भी मनुष्य का धीरज बाँधते थे। स्वयं लेखक की पत्नि तथा पुत्र की मृत्यु पर फ़ादर बुल्के ने उन्हें सांत्वना दी थी। किसी भी मानव का दु:ख उनसे देखा नहीं जाता था। उसके कष्ट दूर करने के लिए वे यथाशक्ति प्रयास करते थे।
Question 6:
फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है, कैसे?
Answer:
फ़ादर बुल्के एक सन्यासी थे, वे चोगा पहनते थे, लोगों की सहायता करते थे तथा सभी मानवीय गुणों का पालन करते थे। परन्तु सन्यासी जीवन के परंपरागत गुणों से अलग भी इनकी भूमिका रही है; जैसे – इन्होंने सन्यास ग्रहण करने के पश्चात् अपना अध्ययन जारी रखा, कुछ दिनों तक ये कालेज में भी पढ़ाते रहे तथा अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेते रहे। इसलिए फ़ादर बुल्के की छवि परंपरागत सन्यासियों से अलग है।
Question 7:
आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है।
(ख) फ़ादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है।
Answer:
(क) फ़ादर कामिल बुल्के की मृत्यु पर उनकी अंतिम यात्रा पर बहुत से लोग आए थे तथा फ़ादर बुल्के की मृत्यु से रोने वालों की कमी नहीं थी। उस समय रोने वालों की सूची तैयार करना कठिन था अर्थात् बहुत लोग थे।
(ख) फ़ादर को याद करने से दु:ख होता है और यह दु:ख एक उदास शांत संगीत की तरह हृदय पर एक अमिट छाप छोड़ जाता है। उनको याद कर मन दु:खी हो जाता है।
Page No 89:
Question 8:
आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा?
Answer:
फ़ादर कामिल बुल्के के मन में हिंदी साहित्य, हिंदी भाषा की जानकारी प्राप्त करने की इच्छा थी। इसका अध्ययन वे भारत आकर ही कर सकते थे। भारत तथा भारतीय संस्कृति के प्रति ये आकर्षित थे। इसलिए ये भारत आना चाहते थे। इसके लिए इन्होंने सन्यास ग्रहण करते समय यह शर्त भी रखी कि वे भारत में जाना चाहते हैं।
Question 9:
‘बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि – रेम्सचैपल।’ – इस पंक्ति में फ़ादर बुल्के की अपनी जन्मभूमि के प्रति कौन-सी भावनाएँ अभिव्यक्त होती हैं? आप अपनी जन्मभूमि के बारे में क्या सोचते हैं?
Answer:
फ़ादर कामिल बुल्के की जन्मभूमि ‘रेम्सचैपल’ थी। वहीं उनका जन्म हुआ था। फ़ादर बुल्के के इस कथन से यह स्पष्ट है कि उन्हें अपनी जन्मभूमि से बहुत प्रेम था तथा वे अपनी जन्मभूमि को बहुत याद करते थे। उनकी जन्मभूमि की सुंदर स्मृतियाँ उनके मानस-पटल में थीं।
मनुष्य कहीं भी रहे परन्तु अपनी जन्मभूमि की स्मृतियाँ हमेशा उसके साथ रहती है। हमारे लिए भी हमारी जन्मभूमि अनमोल है। हमें अपनी जन्मभूमि से प्रेम है। वह हमारी मातृभूमि है। यहाँ से हमें बहुत कुछ सीखने को मिला। यहीं हमारा पालन-पोषण हुआ। अत: हमें अपनी मातृभूमि पर गर्व है।
Question 10:
मेरा देश भारत विषय पर 200 शब्दों का निबंध लिखिए।
Answer:
मेरा देश भारत
भूमिका – मेरा देश भारत है तथा हमें अपने भारतीय होने पर गर्व है। भारत वर्ष को सोने की चिड़िया कहते हैं। यहाँ विभिन्नता में भी एकता है। इस देश में तरह-तहर की बोलियाँ तथा भाषाएँ बोली जाती हैं। एक देश होने के बावजूद भी यहाँ लगभग हर जाति तथा धर्म के लोग रहते हैं फिर भी इनमें भाईचारा है। यह भारत वर्ष की एकता का प्रतीक है।
ऐतिहासिकता – यहाँ अनेक महापुरूषों का जन्म हुआ है। यहाँ राम जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम का जन्म हुआ है, जिन्होंने धर्म पूर्ण शासन कर न्याय को कायम रखा। तो वहीं कृष्ण जैसे महाप्रतापी राजा भी हुए। इसी देश में महात्मा गाँधी का भी जन्म हुआ जिन्होंने समाज को अहिंसा का पाठ पढ़ाया। इसका प्रभाव आज भी यहाँ के जन जीवन में देखने को मिलता है। आज भी यहाँ के लोग धर्म तथा नीति से बँधे हुए हैं। भारतवासी आतिथ्य सत्कार करना अपना धर्म समझते हैं।
भौगौलिक सीमाएँ – भारतवर्ष उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी, पूर्व में असम से लेकर पश्चिम में गुजरात तक फैला हुआ है। उत्तर में हिमालय पर्वत भारत माता के सिर पर मुकुट के समान सुशोभित है। यहाँ नदी को भी देवी की संज्ञा दी गई है। गंगा नदी की देवी के रुप में पूजा होती है।
महत्व – दुनिया के प्रगतिशील देशों में भारत प्रथम स्थान पर है। दुनिया के सात अजूबों में पहला अजूबा यहीं पर है – ताजमहल, जिसे शाहजहाँ ने अपनी बेग़म मुमताज़ की याद में बनवाया था।
भारतवर्ष में विभिन्नता में भी एकता है। हर क्षेत्र से यह एक महत्वपूर्ण देश है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है। इसमें तीन रंग है – केसरिया, सफ़ेद, हरा तथा बीच में अशोक चक्र सुशोभित है। हमारा राष्ट्रीय गान जन-गन-मन है, जिसके लेखक रविन्द्र नाथ ठाकुर हैं।
Question 11:
आपका मित्र हडसन एंड्री ऑस्ट्रेलिया में रहता है। उसे इस बार की गर्मी की छुट्टियों के दौरान भारत के पर्वतीय प्रदेशों के भ्रमण हेतु निमंत्रित करते हुए पत्र लिखिए।
Answer:
पता …………….. दिनांक …………
प्रिय मित्र, बहुत प्रयार!
तुम्हारा पत्र मिला। पढ़कर अत्यंत प्रसन्नता हुई। जैसा कि तुम्हें पता है कि हमारे स्कूल में गर्मियों की छुट्टियाँ पड़ गई हैं। मेरा विचार है कि इस बार मैं किसी पर्वतीय प्रदेश में घूमने जाऊँ। अचानक मुझे तुम्हारा स्मरण हो आया। मैं तुम्हें भारत के पर्वतीय क्षेत्र में घूमने के लिए आमंत्रित करता हूँ। मित्र यदि तुम मेरे यहाँ आ जाओ, तो हम दोनों इन छुट्टियों में साथ-साथ रहेंगे। मैंने सोचा है कि हम शिमला जाएँगे। शिमला एक पर्वतीय स्थल है। यह स्थल हिमाचल में स्थित है। कहा जाता है यह कभी अंग्रेज़ों की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करता था। उन्हीं ने इस शहर का निर्माण करवाया था इसलिए इसे ग्रीष्मकालीन राजधानी कहा जाता था। इसके साथ ही यह पहाड़ों की रानी नाम से भी प्रसिद्ध है। यहाँ के मॉल रोड़, ब्रिटिश कालीन चर्च, प्रोस्पेक्ट हिल, समर हिल इत्यादि स्थान बहुत प्रसिद्ध हैं। यहाँ का ‘बिशप कॉटन स्कूल’ भी बहुत प्रसिद्ध। इस समय यहाँ का मौसम अत्यंत मनमोहक होता है। यहाँ की यात्रा बहुत अच्छी रहेगी। अतः तुम कम से कम एक माह की अवधि के लिए यहाँ आना। अपने आने की सूचना अवश्य दे देना ताकि मैं पूरी तैयारी कर सकूँ। तुम्हारे पत्र का इंतज़ार रहेगा।
तुम्हारा मित्र मोहन
Question 12:
निम्नलिखित वाक्यों में समुच्यबोध छाँटकर अलग लिखिए –
(क) तब भी जब वह इलाहाबाद में थे और तब भी जब वह दिल्ली आते थे।
(ख) माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था कि लड़का हाथ से गया।
(ग) वे रिश्ता बनाते थे तो तोड़ते नहीं थे।
(घ) उनके मुख से सांत्वना के जादू भरे दो शब्द सुनना एक ऐसी रोशनी से भर देता था जो किसी गहरी तपस्या से जनमती है।
(ङ) पिता और भाइयों के लिए बहुत लगाव मन में नहीं था लेकिन वो स्मृति में अकसर डूब जाते।
Answer:
(क) और
(ख) कि
(ग) तो
(घ) जो
(ङ) लेकिन
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Question 1:
फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी क्यों लगती थी?
Answer:
देवदार का वृक्ष आकार में लंबा-चौड़ा होता है तथा छायादार भी होता है। फ़ादर बुल्के का व्यक्तित्व भी कुछ ऐसा ही है। जीस प्रकार देवदार का वृक्ष वृहदाकार होने के कारण लोगों को छाया देकर शीतलता प्रदान करता है। ठीक उसी प्रकार फ़ादर बुल्के भी अपने शरण में आए लोगों को आश्रय देते थे। तथा दु:ख के समय में सांत्वना के वचनों द्वारा उनको शीतलता प्रदान करते थे।
Question 2:
फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग हैं, किस आधार पर ऐसा कहा गया है?
Answer:
फ़ादर बुल्के पूरी तरह से भारतीय संस्कृति को आत्मसात कर चुके थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति से प्रेरित होकर सन्यास लेते समय यह शर्त रखी कि भारत आएँगे। भारत आकर उन्होंने हिंदी में बी.ए. किया, इलाहाबाद से एम.ए. किया, फिर ‘प्रयाग विश्वविद्यालय’ के हिंदी विभाग से “रामकथा : उत्पत्ति और विकास” पर शोध कर उन्होंने पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने ‘ब्लू बर्ड’ तथा बाइबिल का हिंदी अनुवाद भी किया तथा अपना प्रसिद्ध अंग्रेज़ी-हिंदी कोश भी तैयार किया। उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा के रुप में प्रतिष्ठित करने के लिए कई प्रयास भी किए। उनका पूरा जीवन भारत तथा हिंदी भाषा पर समर्पित था। अत: हम यह कह सकते हैं कि फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं।
Question 3:
पाठ में आए उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे फ़ादर बुल्के का हिंदी प्रेम प्रकट होता है?
Answer:
फ़ादर बुल्के का हिंदी भाषा संस्कृति के प्रति विशेष झुकाव था —
(1) भारत आकर उन्होंने कलकत्ता से हिंदी में बी.ए. तथा इलाहाबाद से एम.ए. किया।
(2) उन्होंने “रामकथा : उत्पत्ति और विकास।” पर शोध कर पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की।
(3) उन्होंने अपना अंग्रेज़ी-हिंदी शब्दकोश भी तैयार किया।
(4) ब्लूबर्ड का अनुवाद ‘नील पंछी’ के नाम से तथा बाइबिल का हिंदी अनुवाद किया।
(5) हिंदी को राष्ट्रभाषा के रुप में प्रतिष्ठित करने के लिए उन्होंने अनेक प्रयास किए तथा लोगों को हिंदी भाषा के महत्व को समझाने के लिए विभिन्न तर्क दिए।
(6) हिंदी भाषा की उपेक्षा करने वालों पर उन्हें दु:ख होता था।
Question 4:
इस पाठ के आधार पर फ़ादर कामिल बुल्के की जो छवि उभरती है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
Answer:
फ़ादर कामिल बुल्के का व्यक्तित्व सात्विक था। ईश्वर के प्रति उनकी गहरी आस्था थी। एक लंबी पादरी के चोंगे से ढ़का हुआ शरीर था, गोरा रंग, सफ़ेद झाई मारती भूरी दाढ़ी, नीली आँखे थी। उनके हृदय में सभी आत्मीय जनों के लिए प्रेम था। वे वात्सल्यता की मूर्ति थे। हमेशा एक मंद मुस्कान उनके चेहरे पर झलकती थी, क्रोध उन्हें कभी नहीं आता था। दु:ख से विरक्त लोगों को वे सांत्वना के दो बोल बोलकर शीतलता प्रदान करते थे। भारत देश से उन्हें बहुत प्रेम था। उन्हें हिंदी भाषा से भी लगाव था। हिंदी में उन्होंने पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की थी तथा ब्लू बर्ड और बाइबिल का हिंदी अनुवाद भी किया था। हिंदी भाषा की उपेक्षा उनके लिए असह्य थी। बस इसी बात से उन्हें क्रोध करते हुए देखा जाता था। वैसे उनका व्यक्तित्व बहुत शांत तथा सुलझा हुआ था।
Question 5:
लेखक ने फ़ादर बुल्के को ‘मानवीय करुणा की दिव्य चमक’ क्यों कहा है?
Answer:
फ़ादर बुल्के मानवीय करुणा की प्रतिमूर्ति थे। उनके मन में सभी के लिए प्रेम भरा था जो कि उनके चेहरे पर स्पष्ट दिखाई देता था। विपत्ति की घड़ी में वे सांत्वना के दो बोल द्वारा किसी भी मनुष्य का धीरज बाँधते थे। स्वयं लेखक की पत्नि तथा पुत्र की मृत्यु पर फ़ादर बुल्के ने उन्हें सांत्वना दी थी। किसी भी मानव का दु:ख उनसे देखा नहीं जाता था। उसके कष्ट दूर करने के लिए वे यथाशक्ति प्रयास करते थे।
Question 6:
फ़ादर बुल्के ने संन्यासी की परंपरागत छवि से अलग एक नयी छवि प्रस्तुत की है, कैसे?
Answer:
फ़ादर बुल्के एक सन्यासी थे, वे चोगा पहनते थे, लोगों की सहायता करते थे तथा सभी मानवीय गुणों का पालन करते थे। परन्तु सन्यासी जीवन के परंपरागत गुणों से अलग भी इनकी भूमिका रही है; जैसे – इन्होंने सन्यास ग्रहण करने के पश्चात् अपना अध्ययन जारी रखा, कुछ दिनों तक ये कालेज में भी पढ़ाते रहे तथा अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेते रहे। इसलिए फ़ादर बुल्के की छवि परंपरागत सन्यासियों से अलग है।
Question 7:
आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) नम आँखों को गिनना स्याही फैलाना है।
(ख) फ़ादर को याद करना एक उदास शांत संगीत को सुनने जैसा है।
Answer:
(क) फ़ादर कामिल बुल्के की मृत्यु पर उनकी अंतिम यात्रा पर बहुत से लोग आए थे तथा फ़ादर बुल्के की मृत्यु से रोने वालों की कमी नहीं थी। उस समय रोने वालों की सूची तैयार करना कठिन था अर्थात् बहुत लोग थे।
(ख) फ़ादर को याद करने से दु:ख होता है और यह दु:ख एक उदास शांत संगीत की तरह हृदय पर एक अमिट छाप छोड़ जाता है। उनको याद कर मन दु:खी हो जाता है।
Page No 89:
Question 8:
आपके विचार से बुल्के ने भारत आने का मन क्यों बनाया होगा?
Answer:
फ़ादर कामिल बुल्के के मन में हिंदी साहित्य, हिंदी भाषा की जानकारी प्राप्त करने की इच्छा थी। इसका अध्ययन वे भारत आकर ही कर सकते थे। भारत तथा भारतीय संस्कृति के प्रति ये आकर्षित थे। इसलिए ये भारत आना चाहते थे। इसके लिए इन्होंने सन्यास ग्रहण करते समय यह शर्त भी रखी कि वे भारत में जाना चाहते हैं।
Question 9:
‘बहुत सुंदर है मेरी जन्मभूमि – रेम्सचैपल।’ – इस पंक्ति में फ़ादर बुल्के की अपनी जन्मभूमि के प्रति कौन-सी भावनाएँ अभिव्यक्त होती हैं? आप अपनी जन्मभूमि के बारे में क्या सोचते हैं?
Answer:
फ़ादर कामिल बुल्के की जन्मभूमि ‘रेम्सचैपल’ थी। वहीं उनका जन्म हुआ था। फ़ादर बुल्के के इस कथन से यह स्पष्ट है कि उन्हें अपनी जन्मभूमि से बहुत प्रेम था तथा वे अपनी जन्मभूमि को बहुत याद करते थे। उनकी जन्मभूमि की सुंदर स्मृतियाँ उनके मानस-पटल में थीं।
मनुष्य कहीं भी रहे परन्तु अपनी जन्मभूमि की स्मृतियाँ हमेशा उसके साथ रहती है। हमारे लिए भी हमारी जन्मभूमि अनमोल है। हमें अपनी जन्मभूमि से प्रेम है। वह हमारी मातृभूमि है। यहाँ से हमें बहुत कुछ सीखने को मिला। यहीं हमारा पालन-पोषण हुआ। अत: हमें अपनी मातृभूमि पर गर्व है।
Question 10:
मेरा देश भारत विषय पर 200 शब्दों का निबंध लिखिए।
Answer:
मेरा देश भारत
भूमिका – मेरा देश भारत है तथा हमें अपने भारतीय होने पर गर्व है। भारत वर्ष को सोने की चिड़िया कहते हैं। यहाँ विभिन्नता में भी एकता है। इस देश में तरह-तहर की बोलियाँ तथा भाषाएँ बोली जाती हैं। एक देश होने के बावजूद भी यहाँ लगभग हर जाति तथा धर्म के लोग रहते हैं फिर भी इनमें भाईचारा है। यह भारत वर्ष की एकता का प्रतीक है।
ऐतिहासिकता – यहाँ अनेक महापुरूषों का जन्म हुआ है। यहाँ राम जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम का जन्म हुआ है, जिन्होंने धर्म पूर्ण शासन कर न्याय को कायम रखा। तो वहीं कृष्ण जैसे महाप्रतापी राजा भी हुए। इसी देश में महात्मा गाँधी का भी जन्म हुआ जिन्होंने समाज को अहिंसा का पाठ पढ़ाया। इसका प्रभाव आज भी यहाँ के जन जीवन में देखने को मिलता है। आज भी यहाँ के लोग धर्म तथा नीति से बँधे हुए हैं। भारतवासी आतिथ्य सत्कार करना अपना धर्म समझते हैं।
भौगौलिक सीमाएँ – भारतवर्ष उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी, पूर्व में असम से लेकर पश्चिम में गुजरात तक फैला हुआ है। उत्तर में हिमालय पर्वत भारत माता के सिर पर मुकुट के समान सुशोभित है। यहाँ नदी को भी देवी की संज्ञा दी गई है। गंगा नदी की देवी के रुप में पूजा होती है।
महत्व – दुनिया के प्रगतिशील देशों में भारत प्रथम स्थान पर है। दुनिया के सात अजूबों में पहला अजूबा यहीं पर है – ताजमहल, जिसे शाहजहाँ ने अपनी बेग़म मुमताज़ की याद में बनवाया था।
भारतवर्ष में विभिन्नता में भी एकता है। हर क्षेत्र से यह एक महत्वपूर्ण देश है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है। इसमें तीन रंग है – केसरिया, सफ़ेद, हरा तथा बीच में अशोक चक्र सुशोभित है। हमारा राष्ट्रीय गान जन-गन-मन है, जिसके लेखक रविन्द्र नाथ ठाकुर हैं।
Question 11:
आपका मित्र हडसन एंड्री ऑस्ट्रेलिया में रहता है। उसे इस बार की गर्मी की छुट्टियों के दौरान भारत के पर्वतीय प्रदेशों के भ्रमण हेतु निमंत्रित करते हुए पत्र लिखिए।
Answer:
पता …………….. दिनांक …………
प्रिय मित्र, बहुत प्रयार!
तुम्हारा पत्र मिला। पढ़कर अत्यंत प्रसन्नता हुई। जैसा कि तुम्हें पता है कि हमारे स्कूल में गर्मियों की छुट्टियाँ पड़ गई हैं। मेरा विचार है कि इस बार मैं किसी पर्वतीय प्रदेश में घूमने जाऊँ। अचानक मुझे तुम्हारा स्मरण हो आया। मैं तुम्हें भारत के पर्वतीय क्षेत्र में घूमने के लिए आमंत्रित करता हूँ। मित्र यदि तुम मेरे यहाँ आ जाओ, तो हम दोनों इन छुट्टियों में साथ-साथ रहेंगे। मैंने सोचा है कि हम शिमला जाएँगे। शिमला एक पर्वतीय स्थल है। यह स्थल हिमाचल में स्थित है। कहा जाता है यह कभी अंग्रेज़ों की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करता था। उन्हीं ने इस शहर का निर्माण करवाया था इसलिए इसे ग्रीष्मकालीन राजधानी कहा जाता था। इसके साथ ही यह पहाड़ों की रानी नाम से भी प्रसिद्ध है। यहाँ के मॉल रोड़, ब्रिटिश कालीन चर्च, प्रोस्पेक्ट हिल, समर हिल इत्यादि स्थान बहुत प्रसिद्ध हैं। यहाँ का ‘बिशप कॉटन स्कूल’ भी बहुत प्रसिद्ध। इस समय यहाँ का मौसम अत्यंत मनमोहक होता है। यहाँ की यात्रा बहुत अच्छी रहेगी। अतः तुम कम से कम एक माह की अवधि के लिए यहाँ आना। अपने आने की सूचना अवश्य दे देना ताकि मैं पूरी तैयारी कर सकूँ। तुम्हारे पत्र का इंतज़ार रहेगा।
तुम्हारा मित्र मोहन
Question 12:
निम्नलिखित वाक्यों में समुच्यबोध छाँटकर अलग लिखिए –
(क) तब भी जब वह इलाहाबाद में थे और तब भी जब वह दिल्ली आते थे।
(ख) माँ ने बचपन में ही घोषित कर दिया था कि लड़का हाथ से गया।
(ग) वे रिश्ता बनाते थे तो तोड़ते नहीं थे।
(घ) उनके मुख से सांत्वना के जादू भरे दो शब्द सुनना एक ऐसी रोशनी से भर देता था जो किसी गहरी तपस्या से जनमती है।
(ङ) पिता और भाइयों के लिए बहुत लगाव मन में नहीं था लेकिन वो स्मृति में अकसर डूब जाते।
Answer:
(क) और
(ख) कि
(ग) तो
(घ) जो
(ङ) लेकिन


