NCERT Solutions Class 10 Hindi Unit 4 Chapter 2 – Download PDF

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Get here NCERT Solutions Class 10 Hindi Unit 4 Chapter 2. These NCERT Solutions for Class 10 of Hindi Unit 4 subject includes detailed answers of all the questions in Chapter 2 – Sapno Ke Se Din provided in NCERT Book which is prescribed for class 10 in schools.

Book: National Council of Educational Research and Training (NCERT)
Class: 10th Class
Subject: Hindi Unit 4
Chapter: Chapter 2 – Teesri Kasam Ke Shilpkaar Shailendra

NCERT Solutions Class 10 Hindi Unit 4 Chapter 2 – Free Download PDF

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NCERT Solutions Class 10 Hindi Unit 4 Chapter 2 – Sapno Ke Se Din

Question 1:

कोई भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं बनती−पाठ के किस अंश से यह सिद्ध होता हैं?

Answer:

बच्चे जब मिलकर खेलते हैं तो उनका व्यवहार, उनकी भाषा अलग होते हुए भी एक ही लगती है। भाषा अलग होने से आपसी खेल कूद, मेल मिलाप में बाधा नहीं बनती। इस पाठ में भी लेखक ने बचपन की घटना को बताया है कि कोई बच्चा हरियाणा से, कोई राजस्थान से है। सब अलग-अलग भाषा बोलते हैं परन्तु खेलते समय सब की भाषा सब समझ लेते थे। उनके व्यवहार में इससे कोई अंतर न आता था।

Question 2:

पीटी साहब की ‘शाबाश’ फ़ौज के तमगों-सी क्यों लगती थी। स्पष्ट कीजिए।

Answer:

पीटी साहब प्रीतमचन्द अनुशासन प्रिय थे वे बच्चों को कभी अनुशासन के लिए कभी पढ़ाई के लिए डांटते रहते थे परन्तु जब बच्चे कोई भी गलती न करते प्रार्थना के समय सीधी कतार बना कर खड़े रहते तो पी. टी. साहब उन्हें ‘शाबाश’ कहते। बच्चे ‘शाबाश’ शब्द सुनकर खुश होते और उन्हें लगता कि जैसे फौज में सिपाही को तमंगे दिए जाते हैं वैसा ही तमगा उन्हें भी मिल गया है।

Question 3:

नयी श्रेणी में जाने और नयी कापियों और पुरानी किताबों से आती विशेष गंध से लेखक का बालमन क्यों उदास हो उठता था?

Answer:

आगे की श्रेणी की कठिन होती पढ़ाई तथा नए शिक्षकों द्वारा होने वाली मार-पीट के भय से लेखक का बालमन नयी कापियों और  पुरानी किताबों की गंध से उदास हो जाता था।

Question 4:

स्काउट परेड करते समय लेखक अपने को महत्वपूर्ण ‘आदमी’ फ़ौजी जवान क्यों समझने लगता था?

Answer:

स्काउट परेड में लेखक साफ़-सुथरी धोबी से धुली ड्रेस पहनता। पॉलिश बूट तथा जुराब पहनकर लेखक ठक-ठक करके चलता था। मास्टर प्रतीमचंद द्वारा परेड के समय राइट टर्न या लेफ्ट टर्न या अबाऊट टर्न कहने पर छोटे छोटे बूटों की एड़ियों पर दाएँ-बाएँ या कदम मिलाकर चलता, तो वह अपने आपको फ़ौजी से कम नहीं समझता था। अकड़कर चलता तो अपने अंदर एक फ़ौजी जैसी आन-बान-शान महसूस करता था।

 

Question 5:

हेडमास्टर शर्मा जी ने पीटी साहब को क्यों मुअतल कर दिया?

Answer:

एक दिन मास्टर प्रीतमचंद ने कक्षा में बच्चों को फ़ारसी के शब्द रूप याद करने के लिए दिए । परन्तु बच्चों से यह शब्द रूप याद नहीं हो सके। इसपर मास्टर जी ने उन्हें मुर्गा बना दिया। बच्चे इसे सहन नहीं कर पाए कुछ ही देर में लुढ़कने लगे। उसी समय नम्र ह्रदय हेडमास्टर जी वहाँ से निकले और बच्चों की हालत देखकर सहन नहीं कर पाए और पीटी मास्टर को मुअत्तल कर दिया। इसी कारण प्रीतमचंद कई दिनों से स्कूल नहीं आ रहे थे ।

Question 6:

लेखक के अनुसार उन्हें स्कूल खुशी से भागे जाने की जगह न लगने पर भी कब और क्यों उन्हें स्कूल जाना अच्छा लगने लगा?

Answer:

लेखक के अनुसार उन्हें स्कूल जाना बिल्कूल अच्छा नहीं लगता था परन्तु जब स्कूल में रंग बिरगें झंडे लेकर, गले में रूमाल बाँधकर मास्टर प्रीतमचंद परेड करवाते थे, तो लेखक को बहुत अच्छा लगता था। सब बच्चे ठक-ठक करते राइट टर्न, लेफ्ट टर्न या अवाउट टर्न करते और मास्टर जी उन्हें शाबाश कहते तो लेखक को पूरे साल में मिले ‘गुड्डों’ से भी ज़्यादा अच्छा लगता था। इसी कारण लेखक को स्कूल जाना अच्छा लगने लगा।

Question 7:

लेखक अपने छात्र जीवन में स्कूल से छुट्टियों में मिले काम को पूरा करने के लिए क्या-क्या योजनाएँ बनाया करता था और उसे पूरा न कर पाने की स्थिति में किसकी भाँति ‘बहादुर’ बनने की कल्पना किया करता था?

Answer:

लेखक के स्कूल की छुट्टियाँ होती और उसमें जो काम करने के लिए मिलता उसे पूरा करने के लिए लेखक समय सारणी बनाता। कौन-सा काम, कितना काम एक दिन में पूरा करना है। लेकिन खेल कूद में लेखक का समय बीत जाता और काम न हो पाता। धीरे-धीरे समय बीतने लगता तो लेखक ओमा नामक ठिगने और बलिष्ठ लड़के जैसा बहादुर बनना चाहता था जो उद्दंड था और काम करने के बजाए पिटना सस्ता सौदा समझता था।

Question 8:

पाठ में वर्णित घटनाओं के आधार पर पीटी सर की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

Answer:

पीटी सर शरीर से दुबले-पतले, ठिगने कद के थे, उनकी आँखे भूरी और तेज़ थीं। वे खाकी वर्दी और लम्बे जूते पहनते थे। वे बहुत अनुशासन प्रिय थे। बच्चे उनका कहना नहीं मानते तो वे दंड देते थे। वे कठोर स्वभाव के थे, उनके मन में दया भाव न था। बाल खीचना, ठुडढे मारना, खाल खीचना उनकी आदत थी। इनके साथ वे स्वाभिमानी भी थे। नौकरी से निकाले जाने पर वे हेडमास्टर जी के सामने गिड़ गिड़ाए नहीं बल्कि चुपचाप चले गए।

Page No 31:

Question 9:

विद्यार्थियों को अनुशासन में रखने के लिए पाठ में अपनाई गई युक्तियों और वर्तमान में स्वीकृत मान्यताओं के संबंध में अपने विचार प्रकट कीजिए।

Answer:

पाठ में अनुशासन रखने के लिए कठोर दंड, मार-पीठ जैसी युक्तियाँ अपनाई गई हैं परन्तु वर्तमान में यह निंदनीय माना गया है। आजकल अध्यापकों को प्रशिक्षण दिया जाता है कि वे बच्चे की भावनाओं को समझें, उनके कामों के कारण को समझे, उन्हें उनकी गलती का एहसास कराए तथा उनके साथ मित्रता व ममता का व्यवहार रखें। इससे बच्चे स्कूल जाने से डरेंगे नहीं बल्कि खुशी खुशी आएँगे।

Question 10:

बचपन की यादें मन को गुदगुदाने वाली होती हैं विशेषकर स्कूली दिनों की। अपने अब तक के स्कूली जीवन की खट्टी-मीठी यादों को लिखिए ।

Answer:

विद्यार्थी यह प्रश्न अपने अनुभव के आधार पर करें ।

Question 11:

प्राय: अभिभावक बच्चों को खेल-कूद में ज़्यादा रूचि लेने पर रोकते हैं और समय बरबाद न करने की नसीहत देते हैं बताइए −

(क) खेल आपके लिए क्यों ज़रूरी हैं ।

(ख) आप कौन से ऐसे नियम-कायदों को अपनाएँगे जिससे अभिभावकों को आपके खेल पर आपत्ति न हो ।

Answer:

(क) खेल मनोरंजन के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभप्रद हैं। इससे शरीर स्वस्थ रहता है, बच्चे अनुशासित रहते हैं तथा प्रेम और सहयोग की भावना बढ़ती है। साथ ही साथ प्रतिस्पर्धा के गुण भी समझ में आते हैं। समूह में खेलने से सामाजिक भावना आती है।

(ख) खेल शरीर के लिए ज़रूरी हैं परन्तु उतने ही ज़रूरी अन्य कार्य भी हैं; जैसे – पढ़ाई आदि। यदि खेल स्वास्थ्य के लिए है तो पढ़ाई जैसे कार्य भविष्य को सुधारने के लिए आवश्यक हैं। हमें अपना कार्य समय पर करते रहना चाहिए। ज्ञान वर्धक विषयों पर भी उतना ही ध्यान देंगे और समय देंगे तो अभिभावकों को खेलने पर कोई आपत्ति नहीं होगी ।

Page No 30:

Question 1:

कोई भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं बनती−पाठ के किस अंश से यह सिद्ध होता हैं?

Answer:

बच्चे जब मिलकर खेलते हैं तो उनका व्यवहार, उनकी भाषा अलग होते हुए भी एक ही लगती है। भाषा अलग होने से आपसी खेल कूद, मेल मिलाप में बाधा नहीं बनती। इस पाठ में भी लेखक ने बचपन की घटना को बताया है कि कोई बच्चा हरियाणा से, कोई राजस्थान से है। सब अलग-अलग भाषा बोलते हैं परन्तु खेलते समय सब की भाषा सब समझ लेते थे। उनके व्यवहार में इससे कोई अंतर न आता था।

Question 2:

पीटी साहब की ‘शाबाश’ फ़ौज के तमगों-सी क्यों लगती थी। स्पष्ट कीजिए।

Answer:

पीटी साहब प्रीतमचन्द अनुशासन प्रिय थे वे बच्चों को कभी अनुशासन के लिए कभी पढ़ाई के लिए डांटते रहते थे परन्तु जब बच्चे कोई भी गलती न करते प्रार्थना के समय सीधी कतार बना कर खड़े रहते तो पी. टी. साहब उन्हें ‘शाबाश’ कहते। बच्चे ‘शाबाश’ शब्द सुनकर खुश होते और उन्हें लगता कि जैसे फौज में सिपाही को तमंगे दिए जाते हैं वैसा ही तमगा उन्हें भी मिल गया है।

Question 3:

नयी श्रेणी में जाने और नयी कापियों और पुरानी किताबों से आती विशेष गंध से लेखक का बालमन क्यों उदास हो उठता था?

Answer:

आगे की श्रेणी की कठिन होती पढ़ाई तथा नए शिक्षकों द्वारा होने वाली मार-पीट के भय से लेखक का बालमन नयी कापियों और  पुरानी किताबों की गंध से उदास हो जाता था।

Question 4:

स्काउट परेड करते समय लेखक अपने को महत्वपूर्ण ‘आदमी’ फ़ौजी जवान क्यों समझने लगता था?

Answer:

स्काउट परेड में लेखक साफ़-सुथरी धोबी से धुली ड्रेस पहनता। पॉलिश बूट तथा जुराब पहनकर लेखक ठक-ठक करके चलता था। मास्टर प्रतीमचंद द्वारा परेड के समय राइट टर्न या लेफ्ट टर्न या अबाऊट टर्न कहने पर छोटे छोटे बूटों की एड़ियों पर दाएँ-बाएँ या कदम मिलाकर चलता, तो वह अपने आपको फ़ौजी से कम नहीं समझता था। अकड़कर चलता तो अपने अंदर एक फ़ौजी जैसी आन-बान-शान महसूस करता था।

 

Question 5:

हेडमास्टर शर्मा जी ने पीटी साहब को क्यों मुअतल कर दिया?

Answer:

एक दिन मास्टर प्रीतमचंद ने कक्षा में बच्चों को फ़ारसी के शब्द रूप याद करने के लिए दिए । परन्तु बच्चों से यह शब्द रूप याद नहीं हो सके। इसपर मास्टर जी ने उन्हें मुर्गा बना दिया। बच्चे इसे सहन नहीं कर पाए कुछ ही देर में लुढ़कने लगे। उसी समय नम्र ह्रदय हेडमास्टर जी वहाँ से निकले और बच्चों की हालत देखकर सहन नहीं कर पाए और पीटी मास्टर को मुअत्तल कर दिया। इसी कारण प्रीतमचंद कई दिनों से स्कूल नहीं आ रहे थे ।

Question 6:

लेखक के अनुसार उन्हें स्कूल खुशी से भागे जाने की जगह न लगने पर भी कब और क्यों उन्हें स्कूल जाना अच्छा लगने लगा?

Answer:

लेखक के अनुसार उन्हें स्कूल जाना बिल्कूल अच्छा नहीं लगता था परन्तु जब स्कूल में रंग बिरगें झंडे लेकर, गले में रूमाल बाँधकर मास्टर प्रीतमचंद परेड करवाते थे, तो लेखक को बहुत अच्छा लगता था। सब बच्चे ठक-ठक करते राइट टर्न, लेफ्ट टर्न या अवाउट टर्न करते और मास्टर जी उन्हें शाबाश कहते तो लेखक को पूरे साल में मिले ‘गुड्डों’ से भी ज़्यादा अच्छा लगता था। इसी कारण लेखक को स्कूल जाना अच्छा लगने लगा।

Question 7:

लेखक अपने छात्र जीवन में स्कूल से छुट्टियों में मिले काम को पूरा करने के लिए क्या-क्या योजनाएँ बनाया करता था और उसे पूरा न कर पाने की स्थिति में किसकी भाँति ‘बहादुर’ बनने की कल्पना किया करता था?

Answer:

लेखक के स्कूल की छुट्टियाँ होती और उसमें जो काम करने के लिए मिलता उसे पूरा करने के लिए लेखक समय सारणी बनाता। कौन-सा काम, कितना काम एक दिन में पूरा करना है। लेकिन खेल कूद में लेखक का समय बीत जाता और काम न हो पाता। धीरे-धीरे समय बीतने लगता तो लेखक ओमा नामक ठिगने और बलिष्ठ लड़के जैसा बहादुर बनना चाहता था जो उद्दंड था और काम करने के बजाए पिटना सस्ता सौदा समझता था।

Question 8:

पाठ में वर्णित घटनाओं के आधार पर पीटी सर की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

Answer:

पीटी सर शरीर से दुबले-पतले, ठिगने कद के थे, उनकी आँखे भूरी और तेज़ थीं। वे खाकी वर्दी और लम्बे जूते पहनते थे। वे बहुत अनुशासन प्रिय थे। बच्चे उनका कहना नहीं मानते तो वे दंड देते थे। वे कठोर स्वभाव के थे, उनके मन में दया भाव न था। बाल खीचना, ठुडढे मारना, खाल खीचना उनकी आदत थी। इनके साथ वे स्वाभिमानी भी थे। नौकरी से निकाले जाने पर वे हेडमास्टर जी के सामने गिड़ गिड़ाए नहीं बल्कि चुपचाप चले गए।

Page No 31:

Question 9:

विद्यार्थियों को अनुशासन में रखने के लिए पाठ में अपनाई गई युक्तियों और वर्तमान में स्वीकृत मान्यताओं के संबंध में अपने विचार प्रकट कीजिए।

Answer:

पाठ में अनुशासन रखने के लिए कठोर दंड, मार-पीठ जैसी युक्तियाँ अपनाई गई हैं परन्तु वर्तमान में यह निंदनीय माना गया है। आजकल अध्यापकों को प्रशिक्षण दिया जाता है कि वे बच्चे की भावनाओं को समझें, उनके कामों के कारण को समझे, उन्हें उनकी गलती का एहसास कराए तथा उनके साथ मित्रता व ममता का व्यवहार रखें। इससे बच्चे स्कूल जाने से डरेंगे नहीं बल्कि खुशी खुशी आएँगे।

Question 10:

बचपन की यादें मन को गुदगुदाने वाली होती हैं विशेषकर स्कूली दिनों की। अपने अब तक के स्कूली जीवन की खट्टी-मीठी यादों को लिखिए ।

Answer:

विद्यार्थी यह प्रश्न अपने अनुभव के आधार पर करें ।

Question 11:

प्राय: अभिभावक बच्चों को खेल-कूद में ज़्यादा रूचि लेने पर रोकते हैं और समय बरबाद न करने की नसीहत देते हैं बताइए −

(क) खेल आपके लिए क्यों ज़रूरी हैं ।

(ख) आप कौन से ऐसे नियम-कायदों को अपनाएँगे जिससे अभिभावकों को आपके खेल पर आपत्ति न हो ।

Answer:

(क) खेल मनोरंजन के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभप्रद हैं। इससे शरीर स्वस्थ रहता है, बच्चे अनुशासित रहते हैं तथा प्रेम और सहयोग की भावना बढ़ती है। साथ ही साथ प्रतिस्पर्धा के गुण भी समझ में आते हैं। समूह में खेलने से सामाजिक भावना आती है।

(ख) खेल शरीर के लिए ज़रूरी हैं परन्तु उतने ही ज़रूरी अन्य कार्य भी हैं; जैसे – पढ़ाई आदि। यदि खेल स्वास्थ्य के लिए है तो पढ़ाई जैसे कार्य भविष्य को सुधारने के लिए आवश्यक हैं। हमें अपना कार्य समय पर करते रहना चाहिए। ज्ञान वर्धक विषयों पर भी उतना ही ध्यान देंगे और समय देंगे तो अभिभावकों को खेलने पर कोई आपत्ति नहीं होगी ।

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